आत्म द्वीप
Sunday, 17 August 2014
मायूसी
लगता है खुदा के घर भी मय्यत सी मायूसी है
खुशनुमा - हमदर्द लोगों को वो हमसे छीन लेता है|
Friday, 15 August 2014
दिल में
जब-जब दिल में उभरता है उसका अक्स
मुझे अपनी नाकामी बहुत याद आती है|
Friday, 8 August 2014
आग
अजीब सी बेरुखी है उनकी नजरों में
वे बरसात को भी आग समझते हैं|
आँखों में
जब तक आँखों में पास होने की आस है
वो गुमसुम होकर भी दिल के आसपास है|
Sunday, 3 August 2014
कुछ कसूर
कुछ कसूर ऐसे थे जो चुभते ही रहे दिल में
तक़दीर ने फिर कभी मौका ही नहीं दिया|
जिद में
खुद से दोस्ती निभाने की जिद में मैंने
अपने गुनाहों को भी नई जिंदगी दी है|
अपनी ही जंजीरों से
जब से दोस्ती निभाना सीखा है मैंने खुद से
अपनी ही जंजीरों से मुक्त हो गया हूँ मैं|
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