Saturday 16 January 2016

छोटे लोग ही बड़ा होते हैं

कुछ लोग जानवर की तरह होते हैं
जो बेरहमी से कुचल देते हैं
इंसानियत को सड़क पे  
अपने गरूर में |

और कुछ लोग इंसान होते हैं
जो बेरहमी से रौंदे गए
अनजान व्यक्ति में भी
अपनों की तरह
जीने की आस खोजते हैं
दुआ करते हैं
मन्नत मांगते हैं|

ताकि मानवता को जिंदा रखा जा सके
प्रेम को नफ़रत के बाजार में
शर्मिंदा होने से बचाया जा सके|

मेरी निग़ाह में
वो लोग बड़े होते हैं
जो दरअसल
समाज की निगाह में छोटे होते हैं|

जो सूट-बूट पहनना नहीं जानते
बोलने का सलीका नहीं सीख पाते
परंतु सड़क पर गिरे हुए व्यक्ति को
सहारा देने से नहीं चूकते |

रात-दिन अपनों से लड़ने के बावजूद
फूटपाथ पर सोकर
जमीन बेचकर
बड़े अस्पतालों में
अपनों का इलाज कराते हैं
बार-बार दुत्कारे जाने पे भी
वे नहीं डगमगाते
असीम सहनशीलता के साथ
बर्दाश्त कर जाते हैं सब कुछ|

जब तक इन बड़े लोगों को
हम छोटा समझने की भूल करते रहेंगे
हम छोटे रह जाएंगे
तमाम संभावनाओं के साथ
हम संकुचित हो जाएंगे|   

Sunday 3 January 2016

भरोसा नहीं होता है..

कैसे कहूँ कि तेरे धूप से उजाला नहीं होता है
भूखे-नंगों के इस शहर में सवेरा नहीं होता है
सारी की सारी हवाएं कैद हैं एक खिड़की में
सरकार कोई भी हो अब भरोसा नहीं होता है|