कुछ लोग जानवर की तरह होते हैं
जो बेरहमी से कुचल देते हैं
इंसानियत को सड़क पे
अपने गरूर में |
और कुछ लोग इंसान होते हैं
जो बेरहमी से रौंदे गए
अनजान व्यक्ति में भी
अपनों की तरह
जीने की आस खोजते हैं
दुआ करते हैं
मन्नत मांगते हैं|
ताकि मानवता को जिंदा रखा जा सके
प्रेम को नफ़रत के बाजार में
शर्मिंदा होने से बचाया जा सके|
मेरी निग़ाह में
वो लोग बड़े होते हैं
जो दरअसल
समाज की निगाह में छोटे होते हैं|
जो सूट-बूट पहनना नहीं जानते
बोलने का सलीका नहीं सीख पाते
परंतु सड़क पर गिरे हुए व्यक्ति को
सहारा देने से नहीं चूकते |
रात-दिन अपनों से लड़ने के बावजूद
फूटपाथ पर सोकर
जमीन बेचकर
बड़े अस्पतालों में
अपनों का इलाज कराते हैं
बार-बार दुत्कारे जाने पे भी
वे नहीं डगमगाते
असीम सहनशीलता के साथ
बर्दाश्त कर जाते हैं सब कुछ|
जब तक इन बड़े लोगों को
हम छोटा समझने की भूल करते रहेंगे
हम छोटे रह जाएंगे
तमाम संभावनाओं के साथ
हम संकुचित हो जाएंगे|
जो बेरहमी से कुचल देते हैं
इंसानियत को सड़क पे
अपने गरूर में |
और कुछ लोग इंसान होते हैं
जो बेरहमी से रौंदे गए
अनजान व्यक्ति में भी
अपनों की तरह
जीने की आस खोजते हैं
दुआ करते हैं
मन्नत मांगते हैं|
ताकि मानवता को जिंदा रखा जा सके
प्रेम को नफ़रत के बाजार में
शर्मिंदा होने से बचाया जा सके|
मेरी निग़ाह में
वो लोग बड़े होते हैं
जो दरअसल
समाज की निगाह में छोटे होते हैं|
जो सूट-बूट पहनना नहीं जानते
बोलने का सलीका नहीं सीख पाते
परंतु सड़क पर गिरे हुए व्यक्ति को
सहारा देने से नहीं चूकते |
रात-दिन अपनों से लड़ने के बावजूद
फूटपाथ पर सोकर
जमीन बेचकर
बड़े अस्पतालों में
अपनों का इलाज कराते हैं
बार-बार दुत्कारे जाने पे भी
वे नहीं डगमगाते
असीम सहनशीलता के साथ
बर्दाश्त कर जाते हैं सब कुछ|
जब तक इन बड़े लोगों को
हम छोटा समझने की भूल करते रहेंगे
हम छोटे रह जाएंगे
तमाम संभावनाओं के साथ
हम संकुचित हो जाएंगे|