Sunday 19 May 2019

प्रेम

जिंदगी की तमाम रातों के बीच
एक दिन ऐसा आएगा
जब तुम्हारी हथेलियों को
अपने हांथों में थामे हुए
मैं कह सकूंगा कि
मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ
तुम संग
जिंदगी को जिंदगी की तरह जीना चाहता हूँ
इस दुनिया को अब मैं
तुम्हारी निगाहों से देखना चाहता हूँ।

मुद्दतों से इज़हार की चाह लिए
जिंदगी से गुज़र रहा हूँ मैं
जिंदगी की कही-अनकही तमाम किस्से
तुम संग बांटना चाहता हूँ
अतीत की स्मृतियों से
भविष्य को सींचना चाहता हूँ।

तुमसे मिलकर मैं
मैं नहीं रह जाता
दिल के किसी कोने में प्रेम बोने लगता हूँ
तुमसे मिलकर मैं
मनुष्य होने लगता हूँ।

रोज- रोज की मुलाकातों-बातों
हँसते- मुस्कुराते लम्हों के बीच
गुज़रते वक़्त की आंधी में
उजड़ जाऊं मैं
इससे पहले मैं
तुमसे प्रेम का इज़हार करना चाहता हूँ।

Sunday 12 May 2019

माँ

मिट जाएं सारी भाषाएँ
बचा रह जाए
एक शब्द माँ
तो माँ शब्द की संवेदना से
पुनर्जीवित हो सकती हैं भाषाएँ
सृजित हो सकता है साहित्य
माँ शब्द के बचे रहने से
बची रह सकती है मानवीयता।

माँ शब्द की सार्थकता
कहीं बड़ी है वेद, कुरानों से
पूजा-पाठ, तीज-त्योहारों से
माँ शब्द को आत्मसात कर लेना
प्रेम एवं पीड़ा के अंतर को मिटा देना है
माँ शब्द को अर्थ देना
निश्चल प्रेम को प्रतिष्ठित कर लेना है।

माँ शब्द के शब्दकोश में समाहित है
गीत हँसी की, रुदन की, जीवन गति की
माँ शब्द के अनुभव संसार से जुड़ी हैं
अनगिन कहानियाँ मिलन की,बिछुड़न की|

माँ शब्द विस्तार है भावनाओं का
जीवन बोध का
माँ शब्द से आलोकित है अशब्द भी।

जिंदगी की तमाम नाकामयाबियों
निराशाओं के बावजूद
जीने की वजह है माँ
माँ शब्द खोई हुई उम्मीद है
जिसके सहारे बढ़ाया जा सकता है
टूटे जीवन की ओर फिर से पहला कदम।

माँ शब्द का जीवन में होना
जीवन को वरदान मिल जाना है
माँ शब्द का जीवन से रूठ जाना
जीवित साँसों का उखड़ जाना है।

माँ शब्द की ममता में बसे हैं परमात्मा
माँ शब्द की सहनशक्ति
शक्ति की सारी परिभाषाओं से परे है
माँ शब्द अनुभूति की पराकाष्ठा है
माँ शब्द मौन होकर भी मुखर है
माँ शब्द दुआ है, ख़ुदा है
माँ शब्द दुनिया के हर शब्द से जुदा है।