Friday 16 June 2017

प्रेमिकाएं

अक्सर
जिंदगी की जद्दोजहद में
खो जाती हैं प्रेमिकाएं
और दिल के किसी कोने में
जिंदा रह जाता है अटूट प्रेम।
यह प्रेम पीड़ा बन उभरता है
जब कभी उदास होता है मन
कभी काव्य संवेदना बन
रचने लगता है खुद को ही
कभी यह प्रेम
जिंदगी को तराशने लगता है
असीम संभावनाओं के साथ
तो कभी यादों के सफ़र में
दूर तक साथ देने का
अहसास बन जाता है।
सोचता हूँ
दिल में बचे हुए प्रेम को
शायद प्रेमिकाएं भी
शिद्दत से जीती होंगी
कही-अनकही बातों को
अब भी बख़ूबी
समझती होंगी
दिल दुःखने वाली बातों पर
अब भी हँस देती होंगी
माफ़ कर देती होंगी
सबकी गलतियों को
और छुप कर रो लेती होंगी।
जिंदगी के सफ़र में
हर सूखते जज्बातों को
अतीत की स्मृतियों से
अब भी सींचती होंगी
प्रेमिकाएं।
अब भी किसी के
आने की आहट पर
जल्दी से बन-संवर
थकान छुपा लेती होंगी।
अब भी अकेले में
चेहरे की मुस्कान बन
लहलहाता होगा उनके
आँगन का सुर्ख गुलाब।
अब भी इंतजार के पल में
खो देती होंगी खुद को
और दुआ करती होंगी
हरेक काम से पहले
याद दिलाती होंगी
हर भूली बातों का।
जिंदगी के सफ़र में
साथ चले हुए कदम
वक्त के रास्तों से
बेशक अलग हो जाएं
लेकिन प्रेम नहीं मरता
वक्त के बदले स्वरूप में
जिंदा रहता है वो
अपनी कुलबुलाहट के साथ
और जब दिल में
मरने लगता है प्रेम
तो आदमी भी मर जाता है
जीवित रहकर भी।