Monday 20 November 2017

दर्द

बेहिसाब दर्द सहकर भी मुस्कुराते हैं वो
न जाने कैसे अपना ग़म छुपा लेते हैं वो
पूछूँ भी तो कैसे अब उनका हाल-ए-दिल
हर इक बात को हँसकर टाल जाते हैं वो।