Saturday 31 October 2015

वफ़ा

जहर देकर जीने की दुआ करते हैं|
इस तरह वे मेरे साथ वफ़ा करते हैं||

Friday 30 October 2015

चेहरा

चेहरा कैसे बदलता है यह वक्त से पूछा करता था|
आज वक्त ने एक चेहरे को फिर से चाँद बना डाला|

Tuesday 27 October 2015

बंदगी

गुनाहगार भी हूँ तो तेरी नजर में हूँ मैं
गर बंदगी करूँ तो तेरी नजर बन जाऊं|

Friday 23 October 2015

चाहत

यकीन मानो मेरे दोस्त असर मेरी चाहत का है|
मै जिस पत्थर को चाहता हूँ देवता बना देता हूँ|

Monday 5 October 2015

कारवां

कब तक बेवजह रोकोगे मेरे कारवां को तुम
इक दिन जिंदगी ही तुम्हें रुकने नहीं देगी|

Sunday 4 October 2015

कमजोरी

कोई कमी तो न थी तुम्हारे बिना
अब तुम मेरी कमजोरी बन गई हो|

कारवां

जिसे सोचा था मंजर वह मुक्कदर निकल गया
मेरी राह का हर कारवां मंजिल तक पहुँच गया|