Saturday 17 December 2016

रोशनी

बुझाते रहे वे हर झोपड़ी की रोशनी
और महल उजाले से आबाद हो गए|

दोस्त

कभी बेवफा होना जरूरी हो जाता है खुद के लिए भी।
कुछ दोस्त दोस्ती निभाने का शऊर नहीं सीखते कभी।।

आसमान

हमने ही तय कर रखा है अपना छोटा आसमान
हमीं परेशां हैं बरगद को बोनसाई बनता देखकर।

लूटतंत्र

पहले रक़ीब हुआ करते थे अब दोस्त हो गए।
लूटतंत्र में अब चूहे ही बिल्ली के साथ हो गए।

लड़ना

हक़ीक़त से रूबरू होना सालता है मुझे अब भी
मैंने मुसीबतों से हँस कर लड़ना नहीं सीखा अभी।