Monday 22 June 2015

हद से

घनघोर अँधेरे में बिखर ही गए सब संगी-साथी
मैंने अपने क़दमों को उजाले तक रुकने नहीं दिया|

आँधियों में उखड़ गए थे कई नामचीन पेड़-पौधे
मैंने कभी आँधियों को हद से बहकने नहीं दिया| 

उजाला

आँधियों से देखा गया नहीं मेरा उजाला
और आँधियों से ही रोशन हूँ मैं हर कहीं|