Monday 30 July 2018

मछलियाँ

मगरमच्छों के इतिहास में
मछलियों के दर्द की
कोई कहानी नहीं होती।

मगरमच्छों के लिए
मछलियाँ
सिर्फ स्वाद और भूख होती हैं।

मगरमच्छ जानते हैं
कि उनका वजूद नहीं है
मछलियों के बिना
फिर भी रहम नहीं करते।

मगरमच्छ
मछलियों की जान से
खेलते हैं बेपरवाह।

मगरमच्छ अपने शोर से
दबा देते हैं
छटपटाती मछलियों की
चीख।

मछलियाँ
जिस दिन मगरमच्छ का
शिकार होने से बचना सीख लेंगी
मिलकर लड़ना सीख लेंगी
उस दिन मछलियों के इतिहास में
मगरमच्छ दुम हिलाते नज़र आएंगे।

माँ

माँ की आंखों से जो देखी दुनिया मैंने
अपनी आंखों में भी मैंने खुदा देखा।

Wednesday 25 July 2018

आंखें

आँखें जब देखती हैं
भूख
तब चुप रहती हैं|

आँखें जब देखती हैं
बेबसी
तब लाचार बन जाती हैं|

आँखें जब देखती हैं
अन्याय
तब सब सह जाती हैं|

आँखें जब देखती हैं
दर्द
तब कठोर हो जाती हैं|

आँखें
दुनिया हो गई हैं
खोखली
संवेदनहीन
स्मृतिहीन |

आँखों के सपने
बूढ़े हो गए हैं
इस इंतजार में कि
घोर कालिमा से
घिरी रात का
उजास कहीं हो|

Tuesday 24 July 2018

फैसला

जिंदगी का फैसला भला क्या कर पाएंगी अदालतें
जीते जी ही मर जाएंगे वे दोनों एक-दूसरे के बिना।

जिंदा

बिछड़ने के बाद भी वो इस कदर जिंदा है दिल में
कि अक्सर लहू बनकर टपक पड़ता है आंखों से।

Monday 2 July 2018

अंधी दुनिया


इस अंधी दुनिया में
आँख होने का
सबसे बड़ा अभिशाप यह है कि
आप अंधे ठहरा दिए जाएंगे
लड़ेंगे हक की लड़ाई तो
गुनाहगार बना दिए जाएंगे
इंकार कर देंगे वहशीपन को तो
बीच चौराहे नंगे कर दिए जाएंगे
बनेंगे नहीं भीड़ का हिस्सा तो 
भीड़ के भेंट चढ़ा दिए जाएंगे|

इस अंधी दुनिया में
धृतराष्ट्र बन जाएंगे आप तो
सत्ता के योग्य पाए जाएंगे
कूट-कूट कर भरी हो हैवानियत तो
संत बना दिए जाएंगे
करेंगे नफ़रत से प्रेम तो
पैगम्बर बना दिए जाएंगे|

इस अंधी दुनिया में
बेचेंगे नहीं आप अपनी आत्मा तो
जिंदा लाश बना दिए जाएंगे|