Saturday, 24 January 2015

मुर्दा यादें

मुर्दा यादें कंधे को कमजोर करती चली गईं
और वक्त के पाँव कब्रगाह तक पहुँच गए|

उजाले

उजाले में अक्सर अँधेरे को भूल जाते हैं हम
और अँधेरे में उजाले बहुत याद आते हैं| 

कौवा

वह वक्त बीत गया जब कौवा बगुला न बन पाने पर शर्मिंदा थे
अब तो कौवा ही बगुले के वेश में कौवों पर कीचड़ उछालते हैं|

Sunday, 18 January 2015

अकेले

आज साथ रह कर भी बहुत अकेले रहे हम
आज खुद को हम फिर माफ़ नहीं कर पाए |

देवता

जिस पत्थर को पूज कर देवता बना दिया हमने
उस देवता के लिए अपनी जान गवां दिया हमने|

जहर

जहर में भी शहद सी मिठास देखी मैंने
दिल में जालिमों के जज्बात देखी मैंने| 

गुमराह

इतने हुए गुमराह कि राह मिल गए
हर एक सवाल के जवाब मिल गए |

दिल्ली

दिल्ली पर जो राज करता है उम्मीदें तोड़ देता है
स्वर्ग का ख्वाब दिखाकर सड़क पर छोड़ देता है|

कशिश

कुछ तो है उनकी कशिश में जानते हैं सब
कि वे दिल और महफ़िल दोनों लूट लेते हैं|

प्यार

आदत है हमें प्यार न करें तो क्या करें
तुमने भी तो अपनी बेवफाई नहीं छोड़ी|

वक्त

चाँद-सितारों से प्यार पाने के लिए तो कभी नहीं ठहरा मैं
फिर तुम्हारी मोहब्बत के लिए ही क्यों ठहर गया है वक्त 

Friday, 16 January 2015

अतीत

अतीत का अर्थ नहीं होता पर सालता क्यों है?
दिल गुमनाम चेहरे में नए अर्थ ढूंढ़ता क्यों है?

Tuesday, 13 January 2015

नजरिया

जीवन एक खूबसूरत नजरिया भी है दोस्तों
कभी नजरिया बदलने से ही वक्त बदल जाते हैं|

Monday, 12 January 2015

सांस

उम्र भर थामे रहे अपनी सांसों को हम
और सांसों ने ही इक दिन साथ छोड़ दिया|

Saturday, 10 January 2015

मुसाफिर

वक्त के दरिया में बहने वाले मुसाफिर ने
खुद को आज और  कल की झंझटों में बाँट रखा है|

आरजू

खुद की आरजू में ही कुछ कह न सके हम
यूँ तो हमने मन्नतों का संसार सजा रखा है|

Friday, 9 January 2015

वजूद

उम्र भर कमतर आंकते रहे वक्त के जिस पैमाने से हम
उस वक्त के पैमाने ने ही जीने की नई वजूद दे दी है|

Thursday, 8 January 2015

बादशाह

स्वप्न तो आजाद हो वक्त कि हर इक गुलामी से
खुद का बादशाह बने इक लंबा अरसा बीत गया है| 

Wednesday, 7 January 2015

देवता

इस कदर न आजमाओ कि टूटकर बिखर जाऊं मैं
तुम्हें उम्र भर अपनी नजरों में तराशना चाहता हूँ मैं|

Tuesday, 6 January 2015

नफ़रत

धर्म की दूकान से कर रहे हैं वे नफ़रत का व्यापार
वे चाहते हैं सिर्फ ख़त्म करना इंसानियत और प्यार|

नन्हा पौधा

ऐ आँधियों जरा रहम तो करो दो पल के लिए
इक नन्हा पौधा फिर मुस्कुराना चाहता है|

जुर्म

दुःख है कि लूट लिए गए वे सरेआम
जुर्म सिर्फ इतना था कि आँखें बंद थीं |

Monday, 5 January 2015

पेड़

जो पेड़ वक्त की आँधियों में उखड़ जाते हैं
उस पेड़ के बाशिंदे भी बेवक्त बिखर जाते हैं| 

Saturday, 3 January 2015

कहा-अनकहा

सबकुछ अनकहा रह गया जो भी कहना चाहा तुम्हें
जो कहा वो सब गुम हो गए तुम्हारे मासूम सवालों में|

आत्म द्वीप

गिरने की परवाह कहाँ अब आगे बढ़ने की फ़िक्र है मुझे
घनघोर अँधेरे में ही आत्म द्वीप रोशन करता है मुझे| 

Thursday, 1 January 2015

हर एक गूंज

शोषित जन की आवाज अगर मुकम्मल बन जाए
तो उसकी हर एक गूंज से पर्वत भी समंदर बन जाए|