Thursday, 18 July 2019

उम्मीद है

उम्मीद है
एक दिन पहुंच पाऊंगा
अपने घर
दुनिया से बेखबर हो
कुछ दिन रह पाऊंगा।

उम्मीद है
बेतहाशा भागते-भागते
खुद को गिरने से बचा पाऊंगा
हारे हुए समय में
खुद को जीत पाऊंगा।

उम्मीद है
खुद को समझा पाऊंगा
दुनिया की नासमझी
हज़ार नफ़रतों के बीच
प्यार बचा पाऊंगा।

उम्मीद है
नाउम्मीदी के बीच
अपनी उम्मीद को
नए पंख दे पाऊंगा।

उम्मीद है
सारे शब्दों को मिटाकर
वो एक आखिरी
शब्द लिख पाऊंगा
जिससे प्रारंभ हो सके
नव जीवन।

उम्मीद है
यह सब भी न कर सका
तो अपनी उम्मीदों की गठरी को
विदा कर सकूंगा
खुद के विदा होने से पहले।