Wednesday 27 September 2017

आईना

पता नहीं
लोगों की जिंदगी की
क्या कहानी होती है?
मुझे तो अपनी अस्मत
हर रात लुटानी होती है।

कभी जाना ही नहीं मैंने
मोहब्बत और दिल का रिश्ता
मुझे तो उदासियों के साथ ही
जिंदगी बितानी होती है।

बेवजह थोड़े से जख़्म से
कराहते हैं लोग
मेरे शरीर पर तो
हर शख्स की निशानी होती है।

लोग भी उलझ जाते हैं
मोहब्बत की बातों में
मोहब्बत में भला क्या अब
कोई मीरा कृष्ण की दीवानी होती है।

जिंदगी से मर चुके
लोगों की कब्रगाह हूँ मैं
और तुम पूछते हो
मेरी कोई जवानी होती है।

मैं जानती हूँ
पेट की आग और औरत की हकीकत
तुम सोचते हो
हर औरत की अलग कहानी होती है।

गुमनाम अंधेरे में
इस कदर कैद हूँ मैं
कि मुझे हर रात अपनी
मय्यत सजानी होती है।

मत पूछो
मेरे दर्दे-दिल का हाल तुम
तुम्हारी खामोशी की वजह से ही
एक औरत की सरेआम नीलामी होती है।

कैसे कहूँ कि
तुम समझ लोगे मेरे जज्बात
मुझे अपनी आँखों में
हर शख्स की पहचान छुपानी होती है।

मत छेड़ो मेरे जख्मों को
अब रहने भी दो मुझे तन्हा
हमदर्दी दिखाने वालों पर भी
मुझे अब हैरानी होती है।।

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