थाम कर जो हाँथ चले तो हम आबाद हो गए
जब छूटा साथ तुम्हारा तो हम बर्बाद हो गए।
जिंदगी की गुमराह राहों में भटकता रहा तन्हा
जब रोशनी खो दी हमने तब उजाले हो गए।
बहुत कुछ खोकर हासिल की है यह जमीन
जब तक आशियाना बना तुम पराए हो गए।
कहते हो तुम कि धूप कहाँ है मेरे जीवन में
मंजिल पाने की जिद में पाँव में छाले हो गए।
वक्त ही नहीं बचा कि तुम्हें कुछ वक्त दे सकूँ
थोड़ा वक्त था भी तो दरम्याँ फासले हो गए।
कहाँ मिलना लिखा है तुमसे फुर्सत में बैठकर
अर्से बाद जो मिले भी तो फिर से विदा हो गए।
अजीब जिंदगी है जो खुल कर जीने नहीं देती
जब से चलना सीखा है तब से बेसहारा हो गए।
दुःख का ओर-छोर नहीं दिखता अब जीवन में
बहुत कोशिश कर ली फिर भी तन्हा हो गए।
चलो जिंदगी का यह सफ़र भी तुम्हें मुबारक हो
मेरे तो न हो सके कभी सुना है गैरों के हो गए।
जिंदगी जीने के लिए न जाने कितने वसूल हैं
वक्त के हर मोड़ पर जख़्म और गहरे हो गए।
जब छूटा साथ तुम्हारा तो हम बर्बाद हो गए।
जिंदगी की गुमराह राहों में भटकता रहा तन्हा
जब रोशनी खो दी हमने तब उजाले हो गए।
बहुत कुछ खोकर हासिल की है यह जमीन
जब तक आशियाना बना तुम पराए हो गए।
कहते हो तुम कि धूप कहाँ है मेरे जीवन में
मंजिल पाने की जिद में पाँव में छाले हो गए।
वक्त ही नहीं बचा कि तुम्हें कुछ वक्त दे सकूँ
थोड़ा वक्त था भी तो दरम्याँ फासले हो गए।
कहाँ मिलना लिखा है तुमसे फुर्सत में बैठकर
अर्से बाद जो मिले भी तो फिर से विदा हो गए।
अजीब जिंदगी है जो खुल कर जीने नहीं देती
जब से चलना सीखा है तब से बेसहारा हो गए।
दुःख का ओर-छोर नहीं दिखता अब जीवन में
बहुत कोशिश कर ली फिर भी तन्हा हो गए।
चलो जिंदगी का यह सफ़र भी तुम्हें मुबारक हो
मेरे तो न हो सके कभी सुना है गैरों के हो गए।
जिंदगी जीने के लिए न जाने कितने वसूल हैं
वक्त के हर मोड़ पर जख़्म और गहरे हो गए।
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