Sunday 19 May 2019

प्रेम

जिंदगी की तमाम रातों के बीच
एक दिन ऐसा आएगा
जब तुम्हारी हथेलियों को
अपने हांथों में थामे हुए
मैं कह सकूंगा कि
मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ
तुम संग
जिंदगी को जिंदगी की तरह जीना चाहता हूँ
इस दुनिया को अब मैं
तुम्हारी निगाहों से देखना चाहता हूँ।

मुद्दतों से इज़हार की चाह लिए
जिंदगी से गुज़र रहा हूँ मैं
जिंदगी की कही-अनकही तमाम किस्से
तुम संग बांटना चाहता हूँ
अतीत की स्मृतियों से
भविष्य को सींचना चाहता हूँ।

तुमसे मिलकर मैं
मैं नहीं रह जाता
दिल के किसी कोने में प्रेम बोने लगता हूँ
तुमसे मिलकर मैं
मनुष्य होने लगता हूँ।

रोज- रोज की मुलाकातों-बातों
हँसते- मुस्कुराते लम्हों के बीच
गुज़रते वक़्त की आंधी में
उजड़ जाऊं मैं
इससे पहले मैं
तुमसे प्रेम का इज़हार करना चाहता हूँ।

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