Saturday, 13 February 2021
प्रेम-पत्र
Monday, 25 January 2021
जे.एन.यू में प्रेम
जे.एन.यू में प्रेम
या प्रेम में जे.एन.यू
मेरे लिए
एक ही शब्द हैं
एक ही भाव हैं
या यूँ कहूँ तो
जे.एन.यू की
पगडंडियों पर
पांव के
दो निशान हैं
जिसमें एक मैं हूँ
एक तुम हो।
वो जो जे.एन.यू की पगडंडियों पर
हमारे साथ-साथ चलते रहते हैं
पेड़-पौधे
जिसे किसी अंधेरी रात में
पांव फिसलने पर
थाम कर संभल जाते हैं हम
तुम मेरे लिए
वो ही पौधा हो
जिसने थाम रखा है
मेरी साँसों को अब भी।
वो जो जे.एन.यू की लाइब्रेरी में
किताबें ढूंढते-ढूंढते
अचानक एक किताब मिल जाती है न
जिसका एक-एक अक्षर
उतरने लगता है जेहन में
जिसे पढ़ने लगते हैं हम ख्यालों में भी
तुम मेरे लिए वो ही किताब हो
जो जीवन को नए अर्थ दे रही हो अब भी।
जे.एन.यू के गंगा ढाबा पर
चाय की चुस्कियां लेते हुए
वो जो निगाह टिकी होती है न
रास्ते पर
और तुम्हारे आने से अचानक
रौनक लगने लगता है ढाबा
तुम मेरे जीवन की वो ही गंगा ढाबा हो
जिसकी स्मृतियों में जीकर
खुद को पुनर्जीवित करता रहता हूँ मैं।
वो जो जे.एन.यू की गर्मियों में
बेफिक्र लहलहाता रहता है न
अमलतास
जैसे कि उसे पता हो
धूप को छांव बनने में देर नहीं लगती
उसी अमलतास की तरह
लहलहा रही हो तुम अब भी
मेरी जिंदगी की धूप में
जिंदगी को छांव देने के लिए।
जे.एन.यू के पार्थ सारथी रॉक से
जब कभी भी देखता हूँ
दूर तक फैले हुए जे.एन.यू को
तो जे.एन.यू
तुम्हारे बिखरे बालों की तरह नजर आता है
जिसे अपलक देखना
संपूर्ण सृष्टि सौंदर्य को आत्मसात कर लेना है
मेरे लिए।
तुम मेरे लिए
जे.एन.यू की वो बेफिक्र शाम हो
जो अहले सुबह तक साथ निभाती थी
और यह भरोसा दिलाती थी कि
जिंदगी का साथ
सिर्फ उजाले का साथ नहीं होता।
मेरे लिए तुम अब भी
जे.एन.यू के
खिलखिलाते फूलों की लालिमा हो
और उस पर पसरा हुआ बेसब्र धूप हूँ मैं।
सुना था मैंने कि
कभी बौद्ध वृक्ष का एक पौधा लाकर
जे.एन.यू की धरती में रोप दिया गया था
और उसकी जड़े फैलती चली गईं थीं
जे.एन.यू के चट्टानों पर
तुम मेरे लिए वो ही बौद्ध वृक्ष हो
जिसके विस्तार से
जीवन में अनंत गहराई पाता हूँ मैं।
जे.एन.यू से विदा होते वक्त
जे.एन.यू से साथ चली आई स्मृतियों को
सहेज रखा है मैंने ऐसे जैसे
पृथ्वी सहेज लेती है बीज
फिर-फिर जन्म देने के लिए पौधों को
वैसे ही मुझमें भी पनपता रहता है
तुम्हारा प्रेम
जीवन के बंजर समय में भी।
Sunday, 3 January 2021
जे.एन.यू.
जे.एन.यू.
एक जज़्बात है
जो जोड़े हुए है हमें
टूटे हुए समय में भी।
जे.एन.यू.
एक मुक़म्मल आवाज है
जो बुलंद है
वक्त के
घनघोर सन्नाटे में भी।
जे.एन.यू.
एक विचार है
जो जीवंत है
कुविचारों के बीच भी।
जे.एन.यू.
एक सम्मान है
जो अपमान की
आंधियों में भी
झुका नहीं है कभी।
जे.एन.यू.
एक अभिमान है
जो बुलंदियों पर खड़ा है
तमाम आघातों के बाद भी।
जे.एन.यू.
एक वैचारिक यात्रा है
अंधकार से प्रकाश की ओर।
जे.एन.यू.
एक ख़्वाब है
जे.एन.यू.
ग़रीब-गुरबा के
रोशन जीवन का आधार है।
जे.एन.यू.
वंचितों के
संघर्ष का पर्याय है |
जे.एन.यू.
एक दृष्टि है
बेबाक अभिव्यक्ति है|
जे.एन.यू.
मशाल है
जुलूस है
ललकार है
और
जे.एन.यू. ही
हम सब का प्यार है|
जे.एन.यू.
हम सब की अमिट पहचान है
और
जे.एन.यू. ही
हम सब का दूसरा नाम है|