Saturday 13 February 2021

प्रेम-पत्र

प्रेम-पत्र लिखते हुए
जब ढूँढ़ रहा होता हूँ
दुनिया के सबसे खूबसूरत शब्द
तब तुम्हारे नाम से ज्यादा खूबसूरत शब्द
ज़ेहन में नहीं आता
तुम्हारी आँखों से ज्यादा खूबसूरत तो
‘खूबसूरत’ शब्द भी नहीं है
और यह ख़्याल कि
प्रेम करती हो मुझे
मैं खुद के ही प्रेम में डूब जाता हूँ 
तब सोचता हूँ
क्या लिखूं प्रेम-पत्र में कि
तुम मेरे अंतरतम का प्रकाश हो
मौन अभिव्यंजना हो प्राणों की
मेरे तसव्वुर की नव प्रेरणा हो 
संवेदना हो जिंदगी की
जबकि जानता हूँ कि 
शब्दातीत हो तुम
प्रेम का शाश्वत संगीत हो
सृष्टि की सारी उपमा से परे हो
मेरे मीत
मेरे लिए
तुम प्रेम-पत्र की पवित्र आयत हो  
तुम्हें बार-बार पढ़ना
खुद में तुम्हें ढूँढ़ना है
और खुद में ख़ुदा की तरह
तुम्हारी इबादत करना है|

No comments:

Post a Comment