Thursday 20 January 2022

हे प्रभु

हे प्रभु
शक्ति देना
तो सहनशक्ति भी
वार सह सकूँ
अपनों का
परायों का भी |

क्रोध के साथ
प्रेम भी देना  
यह विवेक भी कि
अन्याय के खिलाफ़
जीभ न अकड़े
रावणी दंभ से लड़ते-लड़ते
रावण बनने से बचा सकूँ
ख़ुद को
और प्रेम
पत्थर बनने से
बचाए रखे मुझे |

हे प्रभु
क्षमा करने की
शक्ति भी देना  
और यह भी कि
क्षमा कर सकूं
ख़ुद को भी
इस असहनीय समय में।

जबकि झूठ को झूठ बोलना भी
मुनासिब नहीं
सच की सौदेबाजी से
ख़ुद को बिकने से बचा सकूं
और सच को सच कहने की
काबिलियत बची रहे मुझमें|
 
हे प्रभु
आँखों में सपने देना
तो उसे पूर्ण करने का साहस भी
ताकि बोझिल पंख लिए
विदा होने से बचा सकूँ
ख़ुद को|
 
यह जानते हुए कि
अंधेरे और उजाले में
बहुत फ़र्क है
अँधेरे को
उजाला साबित करने की गुनाह से
ख़ुद को बचा सकूँ|
 
हे प्रभु
इस ग़ुरूर में कि
आसमान हो गया हूँ मैं
अगर गिरुं
तो ख़ुद को  
अपनी नजरों में भी
गिरने से बचा सकूँ ।
ऐसे वक्त में
जबकि मोहब्बत करना
ख़ुद का ही इम्तिहान लेना है  
मैं मोहब्बत कर सकूँ
हज़ार नफ़रतों के बाद भी|
 
हे प्रभु
कहने को तो
यह जीवन एक खेल ही है
जीवन के इस खेल में
ख़ुद को हारकर जीतने से
कहीं बेहतर है
ख़ुद को जीत कर
हार जाऊं मैं
जीती हुई बाज़ी
और
बिना अफ़सोस के
ले सकूँ मैं
आख़िरी सांस |

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