Monday 10 July 2017

आग

भीड़ तंत्र में
गुम हो रहे
मुद्दों को
मुक्कमल आवाज देने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

इस भयावह समय में
सच के पक्ष में
बेबाक होकर
अपनी बात कहने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

लोलुप दुनिया में
अपने ज़मीर को
जिंदा रखने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

अन्याय के समर में
मर रहे मानवीय मूल्यों
को जीवित रखने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

बेतहाशा भागती जिंदगी में
बिखर रहे संबंधों को
संजोने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

नफ़रतों के बीच
प्रेम की उम्मीद बचाए
रखने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

धारा के विपरीत चलते हुए
अकेले पड़ जाने पर
खुद का साथ देने के लिए
अपने अंदर
आग बचाए रखना जरूरी है।

इससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है
अपने अंदर की आग को
कमत्तर न आँकना
और गुलाम रोशनी बन
खुद को
बुझ जाने से
बचा लेना।

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