Thursday 27 July 2017

लोग

जरा सी चिंगारी को आग बना देते हैं लोग
आबाद बस्तियों को राख बना देते हैं लोग।

कौन चाहता है कायम रहे मोहब्बत जहाँ में
अमन की बात पर भी खून बहा देते हैं लोग।

मासूमियत खो गई है अब बच्चों के चेहरे से
मासूम हाँथ को भी कुदाल थमा देते हैं लोग।

अंधेरे रास्ते पर चलने के आदी हो गए हैं पाँव
बेवजह उजाले का ख़्वाब दिखा देते हैं लोग।

प्रेम की उम्मीद तक नहीं है आँखों में अब तो
और जमाने के सामने गले लगा लेते हैं लोग।

कुछ ऐसा दौर चला है गलतफहमियों का अब
कि नफ़रतों के साथ जिंदगी बिता देते हैं लोग।

चलो दिल टूटा अब अपने गम को कहीं छुपा लें
जख़्मी दिल से खेलकर  बहुत दर्द देते हैं लोग।

                               

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