Wednesday 1 August 2018

एक अकेली स्त्री होना

एक अकेली स्त्री होना
हैवानियत भरी नजरों से
खुद को बचाने के लिए
अपनी अंतरात्मा को मार देना है
गूंगी आवाज में चीखना
और बाहर चुप हो जाना है|

एक अकेली स्त्री होना
वीभत्स मानसिकता से
खुद को महफूज बनाए रखने का
ख्वाब बचाए रखना है
अपनी बेगुनाही के बाद भी
बेशर्म सवालों से
शर्मसार होते रहना है
दरिंदगी से गुजरने के बाद भी
दरिंदों के हमदर्द धृतराष्ट्रों से
न्याय की उम्मीद बचाए रखना है।

एक अकेली स्त्री होना
बेवजह की बंदिशों में बंध जाना है
मौत के मुँह में समा चुकी
मासूमियत को
बेबस आंखों से देखते रह जाना है
आसमान की ऊंचाई को छूने की चाहत लिए
बंद खिड़कियों में दम घुट जाना है|

एक अकेली स्त्री होना
समाज की नज़र में
नुमाइश की वस्तु बन जाना है
भद्दी गालियों, चुटकुलों में तब्दील हो
उपहास का पात्र बन जाना है
बेख़ौफ़ हाँथों के लिए
एक खिलौना बन जाना है
अधिकार,शोषण,अत्याचार के
बड़े-बड़े भाषणों के बाद
मनोरंजन का साधन बन जाना है।

एक अकेली स्त्री होना
अंतहीन समझौता हो जाना है
वक्त को कसकर मुट्ठी में दबाए हुए
जिंदगी के कठोर फैसले से गुजर जाना है।

एक अकेली स्त्री होना
अंततः सीता हो जाना है।

No comments:

Post a Comment