मुक्त करना चाहता हूँ
धर्म से
संप्रदाय से
जाति से
पद से
अहंकार से
हीनता बोध से
दुर्भावना से
समस्त धारणाओं से
सामाजिक बंधनों से
संकीर्ण सोच से
वक्त से
खुद को |
ताकि देख सकूँ मैं
अपने आत्मस्वरूप को
अपने देवत्व को
स्त्री-पुरुष की सभी
ग्रंथियों से मुक्त होकर|
ताकि मैं बन सकूँ मनुष्य
पहचान सकूँ
खुद को
खुद के अस्तित्व को
सभी बंधनो से मुक्त होकर|
धर्म से
संप्रदाय से
जाति से
पद से
अहंकार से
हीनता बोध से
दुर्भावना से
समस्त धारणाओं से
सामाजिक बंधनों से
संकीर्ण सोच से
वक्त से
खुद को |
ताकि देख सकूँ मैं
अपने आत्मस्वरूप को
अपने देवत्व को
स्त्री-पुरुष की सभी
ग्रंथियों से मुक्त होकर|
ताकि मैं बन सकूँ मनुष्य
पहचान सकूँ
खुद को
खुद के अस्तित्व को
सभी बंधनो से मुक्त होकर|
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