बलात्कार व्यक्ति नहीं करता
बलात्कार करता है समाज
यह दिखाने के लिए
कि पीड़ित दोयम दर्जे की प्राणी है
उसका अधिकार घर की दहलीज नहीं लाँघ सकता
महफूज नहीं रह सकती वह कहीं भी
और तमाशाबीन लोकतंत्र
सहानुभूति देता है उसे
समझाता है कायदे-कानून
कलपती है आत्मा
धिकारता है मन
दिखती है मौत
और बेलाग घूमते हैं शिकारी
एक अदद शरीर की तलाश में
महफूज होकर निडर
हँसते हुए हम पर
हमारी कायरता पर |
बलात्कार करता है समाज
यह दिखाने के लिए
कि पीड़ित दोयम दर्जे की प्राणी है
उसका अधिकार घर की दहलीज नहीं लाँघ सकता
महफूज नहीं रह सकती वह कहीं भी
और तमाशाबीन लोकतंत्र
सहानुभूति देता है उसे
समझाता है कायदे-कानून
कलपती है आत्मा
धिकारता है मन
दिखती है मौत
और बेलाग घूमते हैं शिकारी
एक अदद शरीर की तलाश में
महफूज होकर निडर
हँसते हुए हम पर
हमारी कायरता पर |
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