आत्म द्वीप
Tuesday, 15 July 2014
कर्जदार
जिस-जिस का
कर्जदार था
सबने ले ली
अपने-अपने हिस्से की धूप|
जिन्हें
उतारना था मेरा कर्ज
सब के सब
डूब गए अँधेरे में |
और मैं
चाँद बनकर
भी ठिठक गया हूँ
एक दीपक में |
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