एक राम और कितने रावण
राम का लंका पर धनुष साधना
अत्याचार के खिलाफ लड़ना था
अहंकार और दंभ की निरंकुश सत्ता को
देना था माकूल जवाब|
हार जाते राम
मार दिए जाते लक्ष्मण
जला दी जाती सीता
तो कैसे लड़ी जाती
लड़ाई इंसाफ की?
क्या बच पाती सुग्रीव की सत्ता
क्या रह जाती अयोध्या सुरक्षित
रावण का दम्भ
क्या यहाँ नहीं गूंजता?
अहंकार के भयावह युद्ध में
हारे हुए से दीखते हैं राम
धन,वैभव,हथियार,सेना
सबकुछ में पिछड़े हुए|
राम
कैसे सोचते हैं ?
अपनी जीत
हारे हुए मन में
कैसे आता है जीत का स्वप्न ?
रावण क्या सचमुच चाहता था
अपनी पराजय
क्यूँ सीता के लिए
दांव लगा दी उसने
मंदोदरी की
कैसे देख पाया वह
इंद्रजीत का वध?
रावण के ज्ञान,बुद्धि,कौशल
को क्यों नहीं भाई
भाई की बातें?
राम ने जीता
पहले स्वयं को
अपने मनोबल को
समय के घनघोर अँधेरे को
भाई के विश्वास को
मित्र के साथ को
संगी-साथी सब को
अपने प्रेम से
और सबों ने अर्पित कर दिया
अपना सर्वस्व|
राम-रावण के युद्ध में
अंततः मारा ही गया रावण
पैदा करके
अनेक रावण|
आज भी हारते-हारते ही जीतते हैं राम
और जीतते-जीतते हार जाता है रावण
शायद इसलिए बची है मनुष्यता
शायद इसलिए जीवित हैं राम
हममें, आपमें, हम सब में
ताकि पराजित होता रहे रावणी दम्भ
पराजित होती रहे पशुता
एक राम और अनेक रावण के युद्ध में
जीतते रहें राम
जीतते रहें हम
जीतते रहें आप
जीतता रहे हमारा समय|
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