शिखर पर पहुँच कर
कभी सोचा ही नहीं था
कि तुम्हें ही भूल जाना होगा
तुम ही तो वो बुनियाद थी
जिसकी दहलीज के सहारे
बढाया था मैंने स्वप्न की ओर
पहला कदम
उस वक्त सिर्फ तुम थी
और तुम्हारा बेशुमार प्यार|
पर वक्त के इस करवट में
जीवन के जिस शिखर पर
मैं हूँ वहां तुम्हारा होना
मेरा असफल हो जाना है |
सोचता हूँ
तुम मेरे जीवन की वह पौध हो
जिसकी जीवनमयी जड़ों को तोड़कर
मेरा शिखर पर होना बेमानी है|
चाहता हूँ लौट आऊं शिखर से
तुम तलक
अगर तुम मुझे अपना सको
शिखर की आपाधापी से दूर
तुम मेरे जीवन को
नया जीवन दे सको|
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