Wednesday 23 July 2014

मैं छुपाता हूँ अपने भीतर प्यार

मैं छुपाता हूँ अपने भीतर प्यार
ताकि मैं मैं रह सकूँ
और तुम तुम|

मैं छुपाता हूँ अपने भीतर प्यार
ताकि जिंदगी के जिस भी
रास्ते पर बढ़ें कदम
तुम धरती की तरह रहो
और मैं आसमान की तरह
जुदा रहकर भी
साथ रह सकूँ|

मैं छुपाता हूँ अपने भीतर प्यार
ताकि हमारी भावनाएं
जिंदगी के दो किनारों को छूती भी रहें
और समय की धारा में बहती भी रहें
अपनी पूर्ण पवित्रता के साथ|

मैं छुपाता हूँ अपने भीतर प्यार
ताकि कहे- अनकहे को
अपने दिल में दे सकूँ आवाज
और तुम मेरी रगों में
बहती ही रहो सदानीरा बनकर|

मैं छुपाता हूँ अपने भीतर प्यार
ताकि घनघोर अँधेरे को
तुम्हारे चौखट का सूरज बना सकूँ
और आलोकित रहो

तुम सदा यूँ हीं|

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