धरती का प्रलय हो
या आसमान बरस रहा हो
या फिर आग झुलसा रही हो
फिर खड़ी हो जाती हैं उम्मीदें |
या आसमान बरस रहा हो
या फिर आग झुलसा रही हो
फिर खड़ी हो जाती हैं उम्मीदें |
हर एक गहरे दर्द के बाद
भर ही जाते हैं घाव
चाहे-अनचाहे मन भुला ही देता
हर एक स्मृति |
भर ही जाते हैं घाव
चाहे-अनचाहे मन भुला ही देता
हर एक स्मृति |
समय की धार में
सिमट ही जाते हैं
हर एक बवंडर
हर उखड़े पेड़ में
जन्म ले ही लेता है
एक नन्हा पौधा |
सिमट ही जाते हैं
हर एक बवंडर
हर उखड़े पेड़ में
जन्म ले ही लेता है
एक नन्हा पौधा |
जो देख लेते हैं जीवन को
समय के आर-पार
वे जानते हैं कि
पराए वक्त में
कैसे जिया जाता है जीवन|
समय के आर-पार
वे जानते हैं कि
पराए वक्त में
कैसे जिया जाता है जीवन|
हर नन्हीं चिड़िया के पंख में
सिमटे होते हैं आकाश को छूने के सपने|
सिमटे होते हैं आकाश को छूने के सपने|
सब कुछ सहज है स्वीकार्य है
जिंदगी में ,समय में
जो कुछ अस्वीकार्य है
वही दुःख है |
जिंदगी में ,समय में
जो कुछ अस्वीकार्य है
वही दुःख है |
No comments:
Post a Comment