Tuesday 15 July 2014

किसको कहना है

उसे जो सुनना नहीं चाहते 
या उसे जो सुनना चाहते हैं 
अपनी ही बात आप द्वारा 
या उसे जिसके पास मौजूद है 
हर एक प्रश्न का अपना ही उत्तर 
किसको कहना है?
विचारों की इस आंधी में 
विचारधारा के नाम पर 
सरेआम हो रहे कत्लेआम के लिए 
किसको कहना है?
बिकी हुई मानसिकता 
दोहरे चरित्र ओढ़े हुई लोगों 
के हाँथों में कैद मानवीयता के लिए 
किसको कहना है?

उसे जो बेपरवाह है
हर एक आवाज से 
जो जानता है कि 
कैसे दबाई जाती है
कोई भी आवाज 
कैसे बदल दिए जाते हैं 
प्रतिरोध के स्वर
जिसे यकीं है 
कि हर एक फैसले पर 
उसका ही हक़ है 
फिर इस बीमार होते प्रजातंत्र के लिए 
किसको कहना है|

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