राम
छोड़ देते हैं
महल,सुख,वैभव
सब कुछ
पाने के लिए
स्वयं को
अनेक रूपों में|
निकल पड़ते हैं
अनजान पथ पर
यह जानते हुए कि
पग-पग पर चुभेंगे
कांटे
वे आह तक नहीं करते
और दर्द से मर जाते हैं पिता
राज वैभव के साथ |
रावण को मारकर
राम पा लेते हैं
अपना विराट स्वरुप
और लौटकर अयोध्या में
राम खो देते हैं
स्वयं को|
रावण
अब भी हँसता है
जब –जब पराजित होते हैं
राम
जीत कर भी
सब कुछ हार जाते हैं
अपनों के द्वारा|
आज भी व्याकुल होती हैं
सीता
जब निकाल दी जाती है
स्त्री
घर से मर्यादा के नाम पर|
आज भी बिछड़ते हैं
उर्मिला- लक्ष्मण
अपने ही
घर के टूटने के सवालों पर |
वक्त पूछता है
हमसे,आपसे
क्यों अब भी
पराजित होते हैं राम
क्यों आज भी
निकाल दी जाती है सीता
क्यों अब भी
बिछड़ जाते हैं उर्मिला- लक्ष्मण
हमें बनाते-बनाते
क्या बता सकते हैं आप?
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