Tuesday 15 July 2014

रिश्ते नहीं मरते

रिश्ते नहीं मरते
मरता है वक्त
रिश्ते दिल के किसी कोने में
जिंदा रहते हैं
अपनी कुलबुलाहट के साथ
बेहतर कल की आशा में|

रिश्ते पेंड़ की डाल की तरह नहीं हैं
कि टूट गए तो कभी जुड़ न पाए
रिश्ते बदलते वक्त के साथ
फिर उगते हैं
जैसे उग आती हैं नई कोपलें|

जिन्हें आप निकाल चुके हैं दिल से
वे सबसे ज्यादा याद आते हैं
हर नए चेहरे में आप ढूँढते हैं
वही पुराना चेहरा|

कैसे कहें कि रिश्ते मरते हैं
वो लौट-लौट कर आँसू बन उभरते हैं
माँ के आँसू में होते हैं
छोड़ गए बच्चे
पिता के आँसू में होते हैं
बिछड़े भाई
प्रेमी की आँसू में होती है प्रेमिका |

कोई मुक्त नहीं है
न जीव न जंतु
चिड़िया सेवती ही है अंडे को
ताकि जीवित हो सके बच्चे
एक दिन उड़ान भर छोड़ जाने के लिए|

रिश्ते नहीं मरते
मरता है वक्त
और नए वक्त में
फिर-फिर जीते हैं रिश्ते

अनवरत|

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