रिश्ते नहीं मरते
मरता है वक्त
रिश्ते दिल के
किसी कोने में
जिंदा रहते हैं
अपनी कुलबुलाहट
के साथ
बेहतर कल की आशा
में|
रिश्ते पेंड़ की
डाल की तरह नहीं हैं
कि टूट गए तो कभी
जुड़ न पाए
रिश्ते बदलते
वक्त के साथ
फिर उगते हैं
जैसे उग आती हैं
नई कोपलें|
जिन्हें आप निकाल
चुके हैं दिल से
वे सबसे ज्यादा
याद आते हैं
हर नए चेहरे में
आप ढूँढते हैं
वही पुराना चेहरा|
कैसे कहें कि
रिश्ते मरते हैं
वो लौट-लौट कर
आँसू बन उभरते हैं
माँ के आँसू में
होते हैं
छोड़ गए बच्चे
पिता के आँसू में
होते हैं
बिछड़े भाई
प्रेमी की आँसू
में होती है प्रेमिका |
कोई मुक्त नहीं
है
न जीव न जंतु
चिड़िया सेवती ही
है अंडे को
ताकि जीवित हो
सके बच्चे
एक दिन उड़ान भर
छोड़ जाने के लिए|
रिश्ते नहीं मरते
मरता है वक्त
और नए वक्त में
फिर-फिर जीते हैं
रिश्ते
अनवरत|
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