Tuesday 15 July 2014

हिंदी हैं हम

हिंदी में ही गीत गाता है किसान
जब लहलहाती है
फसल |

हिंदी में ही दुलारती है माँ
जब रूठ जाती है लाडली |

हिंदी में गाए जाते हैं क्रांति के गीत
जब संवेदनहीन हो जाती है व्यवस्था|

हिंदी में ही लिखे जाते हैं खत
जब पगडंडियां भूल जाती हैं घर का रास्ता
  
हिंदी ही समझता है विदेश  
जब बोलते हैं गाँधी|

हिंदी में ही है वह ताकत
जब पूरा देश खड़ा होता है एक साथ |

हिंदी से ही हैं हम
हिंदी हैं हम

हिंदी हैं हम | 

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